Monday, August 22, 2016

मन भावन लागे मचान
मन भावन लागे मचान , प्यारे बाबा का |
नारायण जहँ स्वयं विराजें |
धर साधु रूप महान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन ......................................
मंच की झाँकी ऐसी लागे |
जैसे शय्या शेष समान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन लागे मचान ........................
नारायण की वाणी निकले |
जो कर जग का कल्याण , प्यारे बाबा का ||
मन भावन लागे मचान .........................
पर्णकुटी में राम विराजें |
जो देते सदा अभयदान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन ....................................
मंच लगे जैसे कदम की डाली |
जहँ छेड़े मोहन तान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन ............................
पार्थ रथ सम मंच है लागे |
जहँ बरसे गीता ज्ञान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन ......................
मंच लगे जैसे कैलाशा |
जहँ बैठे शम्भु सुजान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन .....................
मुक्त हस्त से बाँटा करते |
भक्ति , प्रसाद और ज्ञान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन .........................
फसलों की ज्यों रक्षा करते |
मंच से चतुर किसान , प्यारे बाबा का ||
त्यों भक्तों की रक्षा करते |
बाबा श्री हनुमान , प्यारे बाबा का ||
मन भावन ...................
रचना :-  ओम प्रकाश सिंह

बाबा कुटी , १७३ , आनन्दपुरी , पटना १ 

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