Friday, September 19, 2008

हैं समान गुरु राम पग हैं समान गुरु राम ,गुरु का पावन धाम ही हरि का पावन धाम |
गुरु चरण जा को मिले राम चरण मिल जाए ,राम चरण की पादुका गुरु पादुका कहाए |
श्री चरनन की पादुका प्रथम दरस कर लेहू,अति प्रिये जो गुरु को सदा शीश ताहि पर देहू |
गुरु का वाहन पादुका ताको करहू प्रणाम , चिपटी रहत गुरु चरण सो या बसही गुरु धाम |
गुरु की चरण पादुका प्यारी | बाबा की चरण ------
जे पूजत गुरु चरण पादुका कबहूँ न होत दुखारी |गुरु की -------
चरण पादुका तप अति कीन्हा लियो काठ कुल तारी ,जड़ सो चेतन बनी गुरु संग संग ,भये त्रैलोक्य बिहारी |गुरु की-
चरण पादुका गुरु प्रतिरूपा भ्रम संशय सब हारी ,राम चरण की चरण पादुका कहत वचन त्रिपुरारी |गुरु की -----
भगत पादुका सम नही कोई सदा चरण अधिकारी ,करत न दूर चरण सो जाको गुरूवर भवभय हारी |गुरु की -----
गुरु पग को सुर नर मुनि तरसे करत तपस्या भारी ,यैसो पग सो चिपटी पादुका ढोवत सदगुरु भारी |गुरु की -----
राम चरण की चरण पादुका भई भरत को प्यारी ,चौदह वर्ष पादुका पूज्यो मातु वचन तजि डारी | गुरु की -------
चरण पादुका गरुड़ समाना दुष्ट नाग को मारी , गुरूवर चढी पादुका भ्रमण करी भक्तन काज सम्भारी |गुरु की -----
जे पादुका दरश नित करई कबहूँ न होत भिखारी ,चरण पादुका की पूजा करी तरि गए संत पुजारी |गुरु की ----

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